इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी के खिलाफ कानपुर की एक अदालत में लंबित वसूली व धोखाधड़ी के आपराधिक मामले में सुनवाई पर सोमवार को रोक लगा दी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट समीर जैन ने सोलंकी की याचिका पर यह आदेश दिया। सोलंकी ने आरोप पत्र और 15 नवंबर, 2022 को जारी समन सहित मुकदमे की सुनवाई को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी।
इरफान सोलंकी और सह आरोपी रिजवान सोलंकी के खिलाफ कानपुर नगर के जाजमऊ थाने में छह फरवरी, 2022 को तत्कालीन भारीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 386 (व्यक्ति को डराकर वसूली करना) और अन्य धाराओं के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि सोलंकी अपने साथियों के साथ मिलकर कुछ गरीब लोगों की जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करना चाहते थे और शिकायतकर्ता अकील अहमद द्वारा आपत्ति करने पर आरोपियों ने उसे धमकाया व 10 लाख रुपये देने की मांग की।
इरफान सोलंकी के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल निर्दोष है और उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उन्होंने अदालत में कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह झूठे हैं और घटना के समय सोलंकी विधायक थे इसलिए राजनीतिक दुश्मनी की वजह से उन्हें निशाना बनाया गया।
याचिकाकर्ता के वकील और अपर शासकीय अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी और अगली सुनवाई 17 नवंबर के लिए निर्धारित कर दी।