जलवायु परिवर्तन और भारत की रणनीति

वर्तमान मई 2025 के महीने में पारा दिन प्रतिदिन नित नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है और अपने पुराने सारे रिकॉर्ड को तोड़ रहा है यह मनुष्य द्वारा किए गए किसी एक दिन का कर्म फल नहीं है बल्कि यह उसके साड़ियों का कर्म फल है औद्योगिक क्रांति जो की 18वीं सदी में शुरू हुई थी उस समय वातावरण में कार्बन की मात्रा 0.003 प्रतिशत के आसपास थी किंतु यह वर्तमान समय में उसकी तुलना में लगभग डेढ़ गुना पहुंच गई है और यह वैश्विक तापमान बढ़ाने का कार्य करती है अर्थात पृथ्वी के लिए एक कंबल का कार्य करती है सीधे शब्दों में कहें तो  सूर्यातप जो पृथ्वी की ओर आता है तो उसे वह अंदर आने देती है किंतु बाहर जब वापस जाती है  तो उसे जाने से रोक लेती है और इसे ही हरित गृह प्रभाव कहा जाता है चूंकि कार्बन डाई ऑक्साइड के  बढ़ने का कारण   हमारे आर्थिक लाभ  की लालसा है औद्योगिक क्रांति के लिए हमने जो भी कार्य किए हैं जितने भी इंडस्ट्री लगाए हैं और उद्योगों का परिचालन किया है हमारे यातायात के साधन हैं जिनसे कार्बन उत्सर्जन दिन पर दिन बढ़ा है इस कार्बन उत्सर्जन को  रोकने के लिए हमें अधिक से अधिक  अपनी अर्थव्यवस्था को कार्बन न्यूट्रल की ओर ले जाना होगा जो कि भारत ने स्वयं 2070 तक कार्बन न्यूट्रल होने का लक्ष्य घोषित किया है और कहा है कि वह कार्बन न्यूट्रल देश बनेगा किंतु यह केवल एक दिन में नहीं होने वाला है इसके लिए हमें सतत प्रयास करना होगा इसके लिए सरकार को और यहां के लोगों को मिलकर कार्य करना होगा जहां सरकार को एक और यातायात के  साधनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में कन्वर्ट करना होगा साथ ही साथ हाइड्रोजन वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल करना होगा ताप विद्युत संयत्र के स्थान पर पवन चक्की व सौर ऊर्जा पर आधारित ताप ग्रह का निर्माण करना होगा तथा अर्थव्यवस्था को इस प्रकार से परिवर्तित करना होगा कि वनों पर वह आधारित हो जाए जैसे बायो फ्यूल बायोप्लास्टिक जो की वनों से मिलते हैं तथा बायो कंक्रीट जो कि हमें वनों से प्राप्त होगी बायो कंक्रीट के अंतर्गत ऐसे वनों के उत्पाद को बढ़ावा दिया जाता है जो की सर्दी और गर्मी अर्थात बरसात और धूप में टिकाऊ रहते हैं और उनमें आग भी नहीं लगती है।
भारत के संविधान में अनुच्छेद 48 अ  के तहत कहा गया है कि सरकार पर्यावरण के रक्षा के लिए कार्य करेगी वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51ए (जी )  के तहत कहा कहा गया है कि पर्यावरण की रक्षा करना भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा इसलिए क्योंकि जलवायु परिवर्तन हो रहा है और इससे हमें लड़ना होगा और यह हम सब नागरिकों का कर्तव्य है और इसके लिए हमें मिलकर के सबको  प्रयास करना होगा बच्चे से लेकर बूढ़ों तक को सबको मिलकर के साथ  कार्य करना होगा  तभी जलवायु परिवर्तन से बचा जा सकेगा।
बाल गोविन्द साहू

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