हैप्पी और हंगर इंडेक्स की पोल खुली, भारत को बांग्लादेश समझने की भूल ना करें 

पंकज सीबी मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी 
सोचिये इन बांग्लादेशीयों को क्या हुआ ! ना जीडीपी में कोई दिक्कत हुई ,आरक्षण लगातार बढ़ाया, जाति जनगणना भी करा दिया शेख हसीना नें,  लोगो नें क्या किया इनके साथ जबकि खटाखट लोगो का जीवनस्तर भी ठीक किया और फिर भी उन्हें ये मिला ? इसका साफ कारण केवल सेक्यूलर भाईचारा का ना होना है। कोई भी इस्लामिक मुल्क लोकतांत्रिक रहना ही नही चाहता। तुर्की ने 100 साल मैं दम तोड़ दिया,पाक ने सात साल में और बांग्लादेश ने तो सालभर में ही । बाकी भारत में ऐसा होगा सोचना भी मत क्योंकी यह इष्टदेव भगवान परशुराम के वंशजो की जन्मभूमि है ये यहां लाशो को चील कौवे भी ढूढ़ नहीं पाएंगे। बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के पीछे आरक्षण रहा वहाँ तीस प्रतिशत आरक्षण मुक्ति वाहिनी में रहे लोगों के बच्चों के लिए था। किंतु शेख हसीना ने इसे पोते परपोते तक लागू कर दिया इसी बात से वहाँ के छात्र नाराज थे वे मुक्ति वाहिनी में शामिल रहे लोगों के बच्चों का पाँच प्रतिशत आरक्षण चाहते थे। कोई भी व्यवस्था अंनतकाल के लिए नहीं चल सकती है। समयानुसार उसमें परिवर्तन करना ही पड़ता है और भारत बंद कराने वाले यह अभी समझ लें तो बेहतर वरना शेख हसीना  इतनी छोटी सी बात नहीं समझ पायीं।आपको क्या लगता है तख्तापलट इतना सरल था या विद्रोह एकाएक उत्तपन्न हुआ ! जी नहीं यह सत्तासीन राजा की निरंकुशता और मनमानी की परनीति है। आपको क्या लगता है बांग्लादेश में जो हुआ वह सेना की और वामपंथीयों की जीत है ! नहीं यह बांग्लादेशी लोकतंत्र की हत्या है और अब बांग्लादेश युगांडा बन जायेगा, चीन अमेरिका और भारत के कुछ सेक्यूलर वामी इसी फिराक में थे खैर भारत पर इस उथल पुथल का कूटनीतिक असर होगा किन्तु सामने मोदी की दिवार है जो हर कूटनीति का एक बैकअप प्लान रखता है इसलिए भारत सभी विकल्पों पर गहन दृष्टि गड़ाए हुए है। उधर कुछ बेवकूफो के उकसाने पर भारत बंद के नाम पर देश के गरीब दलित और पिछड़े अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने को तैयार है उन्हें लगता है आरक्षण के अंदर आरक्षण लागू होने से उनके अवसर कम हो जायेंगे जबकि यह सही निर्णय उन्ही दलितों अतिपिछडो और गरीब आदिवासियों के हित में लिया गया है जिन्हे आर्थिक सशक्तता के आभाव में अपने ही जाति के धनपशुओं से पीछे रह जाना पड़ता है क्योंकि एक बार आरक्षण का लाभ लें पैसा कमा लेने के बाद उसी जाति के आरक्षित धनपशु पैसे के बल पर अपने पुत्र पुत्रीयों चाचा मौसी मौसा बुआ का भला कर उन गरीबों के हिस्से की नौकरी छीन अपने कुनबे को मजबूत कर लेते है फिर खुद नेता बनकर बेचारे दलित और गरीबों को भारत बंद और अन्य हंगामो के लिए उकसाते है। आपको क्या लगाता है भाजपा सरकार शाहीनबाग़ में लट्ठ नहीं बज सकता था ! जमकर बजा सकता था पर नहीं बजवाया कारण संविधान के लिए समर्पित पार्टी है मोदी सेना। फर्जी किसान रूपी ख़ालिस्तानियों को नहीं कुचला जा सकता था गाजीपुर बॉर्डर पर ? आराम से हवाई अटैक से आंसू गोले दाग़ उनके सात पुस्ते याद दिलवाया जा सकता था पर उस भीड़ में देश के कुछ बहके बहलाये फुसलाये अन्नदाता भी थे इसलिए मोदी नें बातचीत का रास्ता चुना । भारत बंद करने वालों के घर बुलडोजर नहीं चल सकता क्या बिलकुल चलाया जा सकता है पर ऐसा होगा नहीं क्यूंकि जिस चीज का विरोध कराया जा रहा उसका असर आरक्षण लेने वालों पर ही है फायदा होगा तो भी नुकसान होगा तो भी … लेकिन ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट से कोई भड़काऊ कार्यवाही हो जाती है तो फिर याद रहें यह अफगानिस्तान और बांग्लादेश नहीं  !  तो बात बिगड़ भी सकती है और आज भी परशुराम भक्त पृथ्वी पर राज करते है। अगर आपको याद हो बता दूँ कि शाहीनबाग़ जैसे प्रोटेस्ट करवाने वाली पीएफआई को एक ही रात में नष्ट कर दिया गया था अब उसका नाम केवल कागजो पर है। दरअसल विपक्ष इसी ताक में है कि सरकार कड़ा कदम उठाये और उसके बाद देश भर में आग लगवा दें, जातिवाद का पेट्रोल और केरोसीन तो उन्होंने फैला ही रखा है पूरे देश में बस जाति जनगणना रूपी माचिस भर दिखाने की देर है। इस मुद्दे पर कई कॉलम भी लिखें बहुत पहले कि कैसे एक सेक्यूलऱ लाश देश में गृहयुद्ध करवा सकती है। इसे पढ़िए और समझिये की परदे के पीछे क्या क्या खेल चलते हैं।  और हम कैसे ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठे हैं। हमें लगता होगा कि मोदी निकम्मा है, फर्जी किसानों को सही से नियंत्रण में नहीं लिया, फर्जी महिला उपद्रवियों को उधेड़ा नहीं जंतर मंतर पर ! मोदी सत्ता लोलुप है,जो सीएए मुद्दे पर झुका  दंगे करने वाले, रेल सड़क जाम करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की। हम ऐसे विपक्षी जुमले सुनते ही रहते हैं। और ऐसे जुमले फेंकने वालों के हिसाब से सत्ता में रहने वालों को बस दंडे चलाना आना चाहिए। लेकिन सत्य इसके एकदम विपरीत है। हम एक लोकतान्त्रिक देश हैं.. और यहाँ पहले विचार विमर्श होते हैं।  समझाइश होती हैं, वाद विवाद होते हैं।  और उसके बाद भी मामला ना सुलझे तो अनुराग भदौरिया जैसो को डिबेट से धकिया के भगा दिया जाता है । कानूनी रास्ता है,फिर भी ना सुलझे तो अध्यादेश लाना आखिरी उपाय होता है। लेकिन राजनीति में सबसे महत्वपूर्ण होती है टाइमिंग, अगर आप अपनी चाल सही समय पर नहीं चलते, तो आपको कोई भी शह और मात दे देगा किन्तु तीसरी बार सत्ता यू ही नहीं मिली यह सब उसी सूझबूझ का परिणाम है। बांग्लादेश में आज जो हुआ वह अप्रत्याशीत नहीं ..अगर आपको लगता है अचानक से ये उबाल आया है, तो आप गलत हैं… बांग्लादेश का पिछले 5 साल का इतिहास पढ़िए। समझिए पिछले 4-5 साल से बांग्लादेश में क्या हो रहा है ! अमेरिका वहाँ क्या कर रहा है। बीएनपी क्या गुल खिला रही है। अमरीकी कैसे बीएनपी को फण्ड कर रहे, चीन का वहाँ क्या रोल है। वह सब मैं स्पष्टता से देख रहा था  इसलिए कुछ हफ्तों पहले मैंने कहा भी था कि पश्चिम बंगाल कि हवा बांग्लादेश में घुसेगी, तूफान का अगला शिकार बांग्लादेश होगा। और आज यह सत्य भी हो गया। बांग्लादेश में शेख हसीना काफी अच्छा शासन कर रही थीं और वह भारत कि समर्थक भी थीं, वहीं विपक्ष की बीएनपी अध्यक्ष है बेगम खालिदा जिया जो  भारत के विरोध में ही रहती हैं। तो मामला यह है कि खालिदा जिया पाकिस्तान प्रेमी है और चीन उनका हमदर्द जो हैं। बांग्लादेश में भी छात्रों को भड़काया गया आरक्षण खत्म करने के नाम पर। सरकार को पता था इसके पीछे बीएनपी और जमात ए इस्लामी जैसे आतंकवादी संगठन हैं  फिर भी सरकार ने काफी कड़ाई से काम लिया। हसीना सरकार ने पुलिस और आर्मी को कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए। इसके बाद कई कॉलेज के बच्चे मारे गए। जमात के लोग मारे गए और यही चिंगारी आग बन गई। कहते हैं एक लाश ही बहुत है देश में गृहयुद्ध कराने को और यहाँ तो बहुत सारा बारूद पूरे देश में फैला दिया गया था और आज बांग्लादेश बर्बादी के मुहाने पर है।

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