अस्पताल की क्रूरता! नवजात बच्ची की चूहों ने कुतर डाली सारी अंगुलियां….. हुई मासूम की दर्दनाक मौत

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इंदौर के सरकारी महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल में चूहों द्वारा कुतरने से दो शिशुओं की मौत के मामले में मध्य प्रदेश के अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। 5 सितंबर को यह नोटिस मध्य प्रदेश सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और इंदौर के जिला कलेक्टर को एक गैर-लाभकारी संगठन नेटवर्क फॉर एक्सेस टू जस्टिस की 3 सितंबर को की गई शिकायत के बाद जारी किया गया है। नोटिस के अनुसार, एनएचआरसी ने अधिकारियों से मामले की जाँच करने और 10 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

इंदौर के शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (एमवाईएच) के प्रशासन पर झूठ बोलकर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए जनजातीय समुदाय के एक संगठन ने सोमवार को आरोप लगाया कि अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती एक नवजात बच्ची के हाथ की चारों अंगुलियां चूहे कुतर गए थे। जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘धार जिले के जनजातीय समुदाय के देवराम की नवजात बेटी को जन्मजात विकृतियों के चलते एमवाईएच के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। चूहों के हमले के बाद उसकी मौत हो गई थी।

बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के बाद इसे प्लास्टिक की थैली में पैक करके शनिवार देर शाम परिजनों सौंपा गया था।’’ उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार से पहले जब शव से पैकिंग हटाई गई, तो परिजनों का शोक और आक्रोश यह देखकर बढ़ गया कि नवजात बच्ची के एक हाथ की कथित तौर पर चारों अंगुलियां चूहे कुतर चुके थे।

मुजाल्दा ने आरोप लगाया कि एमवाईएच प्रशासन ने शुरुआत में इस बच्ची के बारे में झूठ बोलकर गुमराह किया था कि चूहों के काटने से उसकी अंगुलियों में मामूली जख्म हुए हैं। उन्होंने एमवाईएच के अधीक्षक समेत शीर्ष अधिकारियों को निलंबित करके उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज करने की मांग दोहराई और चेतावनी दी कि सोमवार शाम तक यह मांग पूरी नहीं किए जाने पर आदिवासी समुदाय बड़ा आंदोलन छेड़ेगा।

अधिकारियों ने बताया कि 31 अगस्त और एक सितंबर की दरम्यानी रात एमवाईएच के आईसीयू में चूहों ने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों से जूझ रही दो नवजात बच्चियों पर हमला किया था। इनमें से एक बच्ची का परिवार इंदौर के पड़ोसी देवास जिले में रहता है। घोर लापरवाही के आरोपों के कारण आलोचना से घिरा एमवाईएच प्रशासन लगातार दावा कर रहा है कि दोनों नवजात बच्चियों की मौत का चूहों के काटने से कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने अलग-अलग जन्मजात विकृतियों के कारण पहले से मौजूद गंभीर स्वास्थ्यगत परेशानियों से दम तोड़ा।

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