कानपुर। इंसानों की तरह पेड़ भी सांस लेते हैं लेकिन जहां इंसान ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं वहीं पेड़ इसके विपरीत करते हैं उनके पत्ते कार्बन डाइऑक्साइड, पानी और सूर्य से ऊर्जा खींचते हैं और उसे शर्करा में बदल देते हैं जिससे पेड़ों को पोषण मिलता है इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं जिसमें ऑक्सीजन निकलती है। इस प्रकार प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से पेड़ वातावरण से जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाली कार्बन डाइऑक्साइड को हटाते हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में हमारी मदद करते हैं।
उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया व राष्ट्रीय अटल आरोग्य संघ के संयुक्त तत्वाधान में नशा मुक्ति युवा भारत अभियान के अंतर्गत पेड़ लगाओ नशा हटाओ एक पेड़ मां के नाम लगाओ कार्यक्रम के तहत अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्ति अभियान के प्रमुख,एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डधारी योग गुरू ज्योति बाबा ने कहीं। ज्योति बाबा ने कहा कि जितना प्रदूषण बढ़ेगा उतना ही व्यक्ति ज्यादा नशा करेगा ,क्योंकि तनाव,कुंठा और हताशा का हल वो नशे में खोजेगा, इसीलिए शुद्ध वातावरण में उन्नत एवं सकारात्मक विचारों के आने के कारण समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी बनेगा, इसीलिए सभी को नीम,पीपल और बरगद के पेड़ ज्यादा से ज्यादा लगाए।
राष्ट्रीय अटल आरोग्य संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर अतुल कुमार मिश्रा ने कहा कि नीम,पीपल और बरगद के पेड़ की त्रिवेणी है त्रिवेणी के रूप में एक साथ लगाने की परंपरा है जिसे शुभ माना जाता है इसका धार्मिक,आध्यात्मिक और पर्यावरणीय महत्व है हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास,बरगद में भगवान शिव का निवास और नीम के पेड़ में औषधीय गुण के साथ देवी दुर्गा का निवास माना जाता है।
नीम के पेड़ की जड़े मिट्टी से पानी सोख लेती हैं जिससे मिट्टी का कटाव कम होता है जहां त्रिवेणी लगी होती है वहां हर पल सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता हैं। विकास गौड़ एडवोकेट ने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर प्राकृतिक संतुलन बिगड़ा है तब त्रिवेणी सहयोग प्रदान करती है मानव और समाज के जीवन की मुख्य धारा प्रभावित करती है। अंत में योग गुरू ज्योति बाबा ने सभी लगे पेड़ों की सुरक्षा का संकल्प कराया।