
पंकज कुमार मिश्रा, राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर, यूपी
बिहार में पलटते राजनीतिक संकेतों के बीच राज्य में सत्तारूढ़ महागठबंधन में अनिश्चितता के बादल छाये हुए प्रतीत हो रहे हैं। लालू और राजद के जाल में फंस चुके मुख्यमंत्री एवं जनता दल यूनाइटेड अध्यक्ष नीतीश कुमार का दम घुट रहा और वो अपना रुख एक बार फिर बदल कर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में वापसी के लिए बेताब दिख रहें। बिहार में चल रहे सियासी उलटफेर के बीच पटना से बड़ी खबर सामने आई,मिली जानकारी के अनुसार जेडीयू 28 जनवरी को सुबह 10 बजे जदयू विधायकों की बैठक बुलाई गई है। बता दें, बिहार में विभिन्न सियासी घटनाक्रम के बीच अलग दलों ने अपनी पार्टी की बैठक बुलाई है।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजभवन में आयोजित जलपान समारोह में शामिल हुए जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता एवं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तथा उनकी पार्टी के अधिकांश नेता इसमें अनुपस्थित रहे। यह राजनीति कैसे बदलती है उसकी एक मिशाल देता हूं, साल 2012 की बात होगी। भाजपा अध्यक्ष के तौर पर अपना पहला टर्म पूरा करने के बाद नितिन गडकरी का नाम दूसरे टर्म के लिए पक्का माना जा रहा था। लेकिन तभी अरविंद केजरीवाल ने नितिन गडकारी पर भ्रष्ट होने का आरोप लगा दिया। फिर कैसे टीवी पर दिखाया जा रहा था कि गडकरी सफाई देने भाजपा के बड़े नेताओं के घर-घर जा रहे हैं। लेकिन उस समय केजरीवाल एंड टीम की तूती बोलती थी वो जिस पर उंगली उठा दे तो उस की जिम्मेदारी थी कि वो अपने आप को निर्दोष साबित करे। गडकरी आखिरदार दोबारे भाजपा अध्यक्ष नहीं बन पाए और राजनाथ सिंह को भाजपा की कमान मिली।
नीतीश और लालू दोनों ही खेमों में चुप्पी सी है और कोई भी सीधे-सीधे जवाब नहीं दे रहा है । दोनों एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहें हालांकि चर्चाओं के बाजार कई तरह से गर्म हैं। थोड़ी देर पहले सामने आया था कि लालू-नीतीश में कोई बात नहीं हो रही है, लेकिन अब ये भी सामने आया है कि, लालू ने नीतीश कुमार कई बार फोन किया है पर कॉल असफल रहीं है। लालू ने 5 बार किया नीतीश को फोन पर उठा नहीं। बिहार की राजनीति में उठे सियासी तूफान के बीच चर्चा है कि लालू यादव ने नीतीश कुमार को 5 बार फोन मिलाया है, लेकिन मौजूदा बिहार सीएम ने बात करने से ही इनकार कर दिया है. लालू यादव ने लैंड लाइन से भी फोन मिलाया, लेकिन उस पर भी बात नहीं हुई है। कुल मिलाकर कहा जा रहा है कि लालू यादव इस पूरे सिनेरियो पर स्पष्ट स्थिति जानना चाह रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार अभी कोई भी जवाब देने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। वक्त बदला और मोदी सरकार आने पर राम मंदिर बन गया और अब हिन्दू भाजपा से सीधे जुड़ा हुआ है जिससे घबराकर तेजस्वी और ममता जैसे लोग अब भजन कीर्तन कर रहें ताकि बिहार की राजनीति में मोदी का प्रभाव कम रहें।रह गए वो केजरीवाल जिनके कभी केवल आरोप लगा देने पर भाजपा कि हिम्मत नहीं थी कि वो गडकरी को दूसरा टर्म दे दे आज वो केजरीवाल कोर्ट में गडकरी समेत आधा दर्जन नेताओं से अपने झूठे आरोपो के लिए माफी मांग चुके हैं ।केजरीवाल के बेहद करीबी आधा दर्जन लोग भ्रष्टाचार के मामलों में जेल में बंद हैं और उन्हें जमानत नहीं मिल रही। केजरीवाल खुद ईडी से भागते फिर रहे हैं। और अभ उन सभी नेताओं से हाथ मिला चुके हैं जिन पर भ्रष्ट होने और भाजपा के साथ मिले होने का आरोप लगाते थे। मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता यह सार्वजनिक जीवन का आधार है। गडकारी अपनी मूल्यों पर टिके रहे तो बुरे वक्त से सूरज की तरह चमक कर बाहर निकले। उन्होंने भारत के विकास गाथा में अपनी वो जगह बना ली है जिसे कोई मिटा नहीं सकता। आज किसी को याद भी नहीं कि उन पर कभी कोई आरोप भी लगे थे। वहीं केजरीवाल ने अपने मूल्यों को तिलांजलि दे दी। आज उनके पास एक आपेक्षित राजनीतिक सफलता है दो राज्यों में उनकी सरकार है लेकिन यह सपलता भी धीरे-धीरे लुप्त हो जाएगी।कभी दीनदयाल उपाध्याय अपने बैग में सुई धागा लेकर चलते थे ताकि जब कुर्ता फट जाए तो उसे सिला जा सके और आज भाजपा के पास संसाधनों का कोई ओर-छोर ही नहीं है। समाज पहले आपको परखता है और नीयत ठीक होने पर फिर भर-भर कर देता है।जो उथले हैं वो सब बाहर हो जाएंगे। 243 सीटों वाली विधानसभा में फिलवक्त सीटों का गणित कुछ इस तरह है। राजद+कांग्रेस+लेफ्ट की सीटों को मिला लिया जाए तो 79+19+16 यानी 114 का नंबर बनता है। मतलब साफ है बहुमत के लिए 8 विधायकों की कमी है. लालू खेमा इन्हीं 8 विधायकों को साधने में जुट गया है। वहीं, नीतीश कुमार अपने आवास पर जेडीयू के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। लालू जादुई आंकड़ा जुटा लें, इससे पहले ही नीतीश विधानसभा भंग कर सकते हैं। सत्ता हासिल करने के लिए सीटों के समीकरण की बात करें तो जीतन राम मांझी की पार्टी के 4 विधायक हैं। ओवैसी के पार्टी का 1 विधायक, एक निर्दलीय विधायक सुमित सिंह हैं।अगर लालू इन्हें भी साथ लेते हैं तो नंबर बनता है 120 का। अभी भी लालू को 2 विधायक और चाहिए। वहीं, सीएम हाउस के बाद राबड़ी आवास में भी हलचल तेज हो गई है। लालू से मुलाकात करने उनके करीबी भोला यादव और शक्ति सिंह यादव राबड़ी आवास पर पहुंचे। उनके अलावा कुछ अन्य विधायक भी पहुंच रहे हैं इसलिए नितीश पाला बदलने की सोच रहें।