कानपुर। मॉनसून की पहली बारिश ने नगर निगम की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी। किदवई नगर के ब्लॉक जोन 3 सहित शहर के कई इलाकों में सड़कों पर दो-दो फीट तक पानी जमा हो गया, कुछ लोगों के घरों के अंदर तक पानी घुस गया जिससे घर के अंदर रखा सामान नाव की तरह हिचकोले खाते तैरने लगे। लोग यह नहीं समझ पा रहे थे कि हम गांव में रह रहे हैं या शहर के पास इलाके में रह रहे हैं। जिसने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। सड़कें अब तालाब की तरह दिखाई दे रही है, और लोग दूध, राशन जैसी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी घरों से निकलने को तरस गए। बच्चे भी विद्यालय नहीं जा सके।
कई लोग तो पानी के दलदल में फंसकर घंटों जूझते रहे, जबकि कुछ ने हिम्मत ही छोड़ दी और घरों में कैद रहना मंजूर किया।
नगर निगम की लापरवाही ने लोगों का गुस्सा भड़का दिया है। बारिश से पहले मेयर प्रमिला पांडे ने नालों की सफाई और जलभराव से निपटने के बड़े-बड़े दावे किए थे। मेयर ने दावा किया था कि इस बार मॉनसून में शहरवासियों को कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन बारिश की पहली बौछार ने इन वादों की हवा निकाल दी।
किदवई नगर 128 / 807 के ब्लाक निवासी विनोद भट्ट गुस्से में कहते हैं, “हर साल यही हाल, नाले जाम, सड़कें डूबीं, और नगर निगम सिर्फ कागजी दावे करता है।”
वही मकान नंबर 746 संतराम गुप्ता सहित स्थानीय लोगों ने बताया कि जलभराव के कारण बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा मुश्किल हुई। बच्चे विद्यालय नहीं जा सके। सड़कों पर पानी के साथ कीचड़ और गंदगी का मिश्रण न सिर्फ आवागमन को मुश्किल बना रहा है, बल्कि बीमारियों का खतरा भी बढ़ा रहा है। मकान नंबर 740 से लेकर 757 नंबर तक के घरों में अंदर तक घुस जाता है गंदा पानी।
के ब्लॉक निवासी नवीन टंडन, विशाल, आर एस यादव, शैलेश मिश्रा ने बताया कि यहां के निवासी सालों से इस समस्या से परेशान है यहां का पार्षद भी हमारी इस समस्या को नहीं सुनता है। एक स्थानीय सैलून दुकानदार बाबा और बउवा ने तंज कसते हुए कहा, “लगता है मेयर जी के लिए जलभराव का मतलब शहर में स्विमिंग पूल बनाना है!”
नगर निगम की इस नाकामी से सोशल मीडिया पर भी हंगामा मचा हुआ है। लोग मीम्स और पोस्ट के जरिए अपनी भड़ास निकाल रहे हैं। एक ट्वीट में लिखा गया, “कानपुर में नाव चलाने की ट्रेनिंग शुरू कर देनी चाहिए, सड़कें तो अब नदी बन चुकी हैं!”
शहरवासियों का कहना है कि अगर नगर निगम ने समय रहते नालों की सफाई और जल निकासी की व्यवस्था पर ध्यान दिया होता, तो यह नौबत न आती। अब सवाल यह है कि क्या मेयर और नगर निगम इस बारिश को सबक मानकर अगली बार बेहतर तैयारी करेंगे, या यह सिलसिला हर मॉनसून में यूं ही चलता रहेगा? फिलहाल, कानपुर की सड़कों पर पानी और कानपुर के दिलों में गुस्सा उबाल मार रहा है।