चुनाव आयोग ने जब बिहार में फर्जी वोटरों का आकड़ा दिया तो लोकतंतर में फर्जी वोटरों को बचाने के लिए राहुल संसद के बाहर, अखिलेश मस्जिद में और तेजश्वी सड़क पर उतर गए। अब फर्जी नेताओं और उनके फिट किए गए यूट्यूबर की जान हलक में आ गई। आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार नें कहा कि क्या स्पेशल इंसेंटिव रिवीजन अर्थात एसआईआर पर उठाए जा रहे बेबुनियादी सवालों से डर कर चुनाव आयोग, ऐसे लोगों के बहकावे में आकर, मरे हुए मतदाताओं, स्थायी तौर से प्रवास कर गये मतदाताओं, दो जगह वोट बनवा चुके मतदाताओं, फ़र्जी मतदाताओं या विदेशी मतदाताओं के नाम पर फ़र्जी वोट डालने वाले लोगों को पहले बिहार में, फिर पूरे देश में, संविधान के विरुध्द जाकर फर्जी वोट डालने की अनुमति दे दे ? गनीमत है कि “लोकतंतर” बचाने का नारा देने वालों ने अभी तक यह नारा नहीं दिया है कि मुर्दों को भी वोट देने का अधिकार है। हम उनकी भी लड़ाई लड़ रहे हैं, उनका नाम आखिर मतदाता सूची से क्यों हटाया जा रहा है? बिहार में वोटर लिस्ट रिव्यू के बाद ये तो तय है कि फर्जी वोटिंग बिहार चुनाव की पहचान रही है और इसी के बलबूते में जंगलराज कायम होता था और गुंडे और मुजरिम चुनाव आसानी से जीत जाते थे।
अब जब चुनाव आयुक्त नें बिहार में रोहिंग्या एंट्री के आशंका को जाहिर किया तो कुछ सेक्यूलर टोपीधारी नेता सड़को पर उतर उत्पात मचाने की बात कर रहें। चुनाव आयोग नें सुप्रीम कोर्ट में जो धाँसू हलफनामा दिया है उस हलफ़नामे में 80 पेज का जो ऑपरेटिव हिस्सा है उसमें जो आंकड़े दिए गए हैं वह निश्चित रूप से बिहार के हिन्दू कम्युनिटी को चौकाने वाला है ! सूत्रों की माने to चुनाव आयोग ने एक एक्टिविस्ट की बात को स्वीकार किया है जिसने सबसे पहले कहा था की 2003 में जिन चार करोड़ 96 लाख वोटो का जिक्र है उनमें से एक करोड़ 10 लाख वोटो का देहावसान हो चुका है फिर भी वो वोटर लिस्ट में बने रहें इसलिए 2003 की वोटिंग लिस्ट में 3 करोड़ 85 लाख वोट है जो इन 9 करोड़ वोटरो में से सत्यापित किया जा रहे हैं बाकि नए वोटर है जिन्हें कागज़ दिखाने पड़ेंगे। बाकी सारे नाम समरी रिवीजन के बाद फर्जी साबित होंगे और उन्हें हटाया जायेगा जो बेहद सटीक और विचारयोग्य है। बिहार में फर्जी वोटिंग रोकने के लिए एसआईआर की प्रक्रिया नें बिहार के लोगो को नया उत्साह दिया है।
जो मतदाता सूची चुनाव आयोग ने दी है वह स्वीकार योग्य है। सूत्रों की माने तो बिहार में 1980 से 2025 के बीच में 2 करोड़ 86 हजार लोगों नें ही मैट्रिक के सर्टिफिकेट दिए हैं ! आंकड़े कहते है कि बिहार में 9 लाख सरकारी कर्मचारी है यह बात मानी जा सकती है इसमें 5 लाख वर्तमान में और चार लाख पेंशनर सरकारी कर्मचारी है। कुछ यूट्यूबर सर्वे हुए हैं उनमें कहा गया कि अनुसूचित जाति से लगभग 80% लोगों को आदिवासियों में 65% लोगों को ओबीसी में 90 % लोगों को और सवर्ण जाति में 60 % लोगों ने जाति प्रमाण पत्र बनवाए हैं ! तो फिर ये कागज दिखाइए ! क्या दिक्क़त है..? चुनाव आयोग जिन जाति प्रमाण पत्रों के जिक्र कर रहा है जो सरकार द्वारा जारी कर दिए गए वो लगभग 9 करोड़ है। बाकीयों को फैमिली प्रमाण पत्र बांटे गए है जिनकी संख्या लगभग ढाई करोड़ है। चुनाव आयोग ने सिर्फआंकड़ों पर ही बोला है। क्रियान्वयन के संदर्भ में भी जो तथ्य उसने दिए हैं वह सब जमीन पर नजर आ रहे। चुनाव आयोग नें कुछ नामी फर्जी यूट्यूबर पत्रकारों के भी चेहरे से नकाब उतार दिया है। ऐसे फर्जी यूट्यूबर माईक लेकर बस लोगो को बरग़ला रहें।
उधर बिहार में चुनाव आयोग फ्रंट फूट पर बैटिंग कर रहा। चुनाव आयोग ने अपने जवाब में सुप्रीम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है उसमें लिखा है कि उसने हर मतदाता को दो अनुमूलेशन फॉर्म दिए हैं। चुनाव आयोग बड़ी बेबाकी से यह बात कही है कि कितने फॉर्म बिना दस्तावेज के उसने प्राप्त किए हैं जबकि फर्जी नेताओं का कहना है कि इसकी एक बहुत बड़ी संख्या है जो वहां के बीएलओ ने बिना मतदाता के हस्ताक्षर कराए , फर्जी हस्ताक्षर कर कर,बिना किसी दस्तावेज़ के पुरानी वोटिंग लिस्ट से उसके मतदाता एपिक नंबर नोट कर कर अपलोड किए हैं। सिर्फ यह सिद्ध करने के लिए की चुनाव आयोग ने रिवीजन का काम शिद्दत से पूरा नहीं किया है इसके विरोध में लोगो को सड़क पर उतारने वालों की कलई खुल रही लेकिन सच्चाई यह है मेहनत से मतदाता सूची पूनरीक्षण कार्य पूरा किया गया है इसे न सिर्फ पूरा बिहार जानता है बल्कि सारा देश भी जानने लगा है।
कुछ नरेटीवस की भी बात की जाए तो बिहार में डुप्लीकेट आधार कार्ड का जिक्र जरूरी है। सीमांत जिलों में 70% आधार कार्ड फर्जी जारी हो गए हैं और इस तरह रोहिंग्या नेपालियों और बांग्लादेशों के लिए भी बिहार में वोटिंग के अवसर तलाशें जा रहे जिसका जवाब अब जब चुनाव आयोग दें रहा तो डब्बेबाज नेता छटपटा रहें। बिहार नें मतदान से पूर्व जो धारणा बनाने का प्रयास किया जा रहा वह बेहद घटिया है। अपनी संभावित हार को अभी से स्वीकार कर चुके विपक्ष का रोना संसद के बाहर सुनाई दें रहा। इस बार फिर बोलते हुए राहुल गांधी नें देश की सत्ता पर चुनाव आयोग से मिलकर चुनाव चोरी करने का आरोप लगाया है जबकि चुनावी प्रक्रिया बेहद सरल और पारदर्शी हो गई है। वहां कांग्रेस का नेरेटिव काम नहीं करता और ना वहां आंकड़े और संविधान की दुहाई देते है जैसे महाराष्ट्र, हिमाचल और कर्नाटक जैसे प्रदेशों में जहां कांग्रेस की सरकार है वहां यह खेल एक्सपोज हुआ है कि जीते तो सब ठीक और जहाँ हारे वहां चुनाव आयोग और मशीन दोषी ! वह तो जनता का मत ही इतनी बड़ी संख्या में भाजपा को परिवर्तित हुआ कि कांग्रेस सदमे में है और इसका ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ने के मनसूबे पूरे नहीं हो पा रहें।
विपक्षी नेताओं की छटपटाहट और आंकड़ों की बाजीगरी का यह खेल एक बार फिर से यह साबित कर रहा है बिहार में फर्जी वोट करवाने की कोशिश जारी है ! उधर तेजस्वी नें कहा कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) विवाद लगातार गहराता जा रहा है। इसे लेकर विपक्ष ने चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यहां तक कि चुनाव बहिष्कार की बात भी होने लगी है। राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने गुरुवार को विशेष गहन पुनरीक्षण विवाद पर कहा कि हमारे पास बिहार विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का विकल्प खुला है। एक बात स्पष्ट है कि सबकुछ तय हो गया है कि बेईमानी करनी ही है, वोटर लिस्ट से लाखों लोगों का नाम काटना है…तो हम चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार कर सकते हैं…हम सभी दल के लोगों से बात करेंगे।

पंकज सीबी मिश्रा/राजनीतिक विश्लेषक एवं पत्रकार जौनपुर यूपी