शाबाश ऑफिसर !-ऑफिस में बुजुर्ग शख्स को इंतजार करवाया -बॉस ने स्टाफ़ को दी अनोखी सज़ा – मरते दम तक याद रखेंगे 

  • डिजिटल युग में हर सरकारी व निज़ी कार्यालयों के अधिकारियों को इस अधिकारी से सीख़ लेने की ज़रूरत 
  • सरकारी कार्यालयों में छोटे-छोटे कामों के लिए कर्मचारियों द्वारा जनता को चकरे लगवाने के लिए सज़ा का अध्यादेश लाना ज़रूरी
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत को बौद्धिक क्षमता का धनी माना जाता है, परंतु भ्रष्टाचार स्वार्थ मलाई कामचोरी व जनता को चकरे खिलाने में माहिर करीब सभी कार्यालयों के अनेकों कर्मचारी अपनी बौद्धिक क्षमता का गलत इस्तेमाल अपने, निजी आरामदायक सुविधाओं के लिए चंद् रूपयों के लिए आम जनता, विशेष रूप से बुजुर्गों को भी अपनी टेबल के चकरे खिलाने में माहिर होते हैं,जो देश की प्रतिष्ठा को धूमिल करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते,इसका अनुभव मैंनें स्वयंम नें भी अनेकों शासकीय कार्यालय में चकरे खाकर महसूस किया हूं कि करीब करीब हर अधिकारी चकरे खिलानें में माहिर होता है। हमारा पीएम या पूरा मंत्रिमंडल चाहे कितनी भी बातें भ्रष्टाचार के खिलाफ़ कर लें परंतु जमीनी स्तर पर असर अभी भी कम नहीं हो रहा है। चंद रूपयों याने चाय पानी के लिए टेबल के 10 चकरे खाना ही पड़ता है या फिर मज़बूरी से किसी दलाल के थ्रू काम करना पड़ता है जो अत्यंत ही चिंताजनक है,जो हमारे पीएम के सपनों को चकनाचूर करने में लगे हुए हैं। इसलिए इस आर्टिकल के माध्यम से मैं 20 दिसंबर 2024 तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में एक विधेयक अधिसूचित करने का सुझाव देता हूं जो सीधा ऑफिस के टेबलों के चकरे खिलाने वाले बाबूओं कर्मचारीयों और अधिकारियों अधीक्षकों व सीईओ को द्वारा सीसीटीवी कैमरे में देखकर भी कुछ एक्शन नहीं लेकर मूक दर्शक बने रहते हैं उनके खिलाफ़ भी सीधे केस दर्ज करवा कर निलंबित कर देने का प्रावधान सहित संपूर्ण आचार संहिता की धाराओं को शामिल कर विधेयक को यदि इस शीत सत्र में पेश करना संभव नहीं हो तो, पूरी तैयारी के साथ अगले वर्ष 2025 के बजट सत्र में पेश किए जाने की सख़्त ज़रूरत है।आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दिनांक 17 दिसंबर 2024 को पूरे सोशल मीडिया में एक क्लिप बहुत ही तीव्र गति से सर्कुलेट हो रही है जिसमें बुजुर्ग कोई फाइल क्लीयर कराने के लिए एक ऑफिस में चकरे काटने पड़ रहे है, पर उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है इतना तक कि अधीक्षक या सीईओ या बॉस ने सीसीटीवी में देखकर संबंधित कर्मचारियों को हिदायत देने के बावजूद उस बुजुर्ग का काम नहीं हुआ तो बॉस ने पूरे स्टाफ को एक अनोखी सजा दी,जिसका संज्ञान पूरे भारत के शासकीय व निजी अधिकारियों या बॉस ने लेना समय की मांग है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से व उपलब्ध इमेज का प्रयोग करके इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, सरकारी कार्यालयों में छोटे-छोटे कामों के लिए कर्मचारियों द्वारा जनता को चकरे लगवाने वाले कर्मचारियों के लिए सज़ा का अध्यादेश लाना ज़रूरी है। 
साथियों बात अगर हम सोशल मीडिया में 17 दिसंबर 2024 शाम से वायरल एक क्लिप की करें तो, दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के नोएडा से अनोखा मामला सामने आया है। वहां के सीईओ ने कर्मचारियों की लापरवाही पर कड़ा एक्शन लेते हुए आवासीय भूखंड विभाग के स्टाफ को आधे घंटे तक खड़े होकर काम करने का फरमान सुना दिया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वह चैनलों के अनुसार के अनुसार एक बुजुर्ग दंपती अपनी समस्या के समाधान के लिए प्राधिकरण के आवासीय भूखंड विभाग पहुंचे थे, लेकिन घंटों इंतजार के बावजूद उनका काम नहीं हो सका, जिसके बाद सीईओ ने कर्मचारियों को ये सजा सुनाई।दरअसल, नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने अपने ऑफिस में लगे सीसीटीवी कैमरे की स्क्रीन पर बुजुर्ग दंपती को काफी देर तक खड़े देखा तो तुरंत आवासीय भूखंड विभाग को निर्देश दिया कि उनकी समस्या का समाधान किया जाए, लेकिन उसके बावजूद 15-20 मिनट बाद जब सीईओ ने फिर से सीसीटीवी पर नज़र डाली तो बुजुर्ग दंपति तब भी खड़े दिखे, इस पर नाराज सीईओआवासीय विभाग पहुंचे और कर्मचारियों की लापरवाही पर कड़ी फटकार लगाई।सीईओ नेकर्मचारियों को कहा, जब आप खड़े होकर काम करेंगे तभी बुजुर्गों की परेशानी को समझ पाएंगे। इसके बाद उन्होंने सभी कर्मचारियों को आधे घंटे तक खड़े होकर काम करने का निर्देश दिया। निर्देश के अनुसार, स्टाफ ने खड़े होकर काम किया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।सोशल मीडिया पर हो रही है तारीफ : कर्मचारियों को लापरवाही के लिए दी गई सजा की हर तरफ़ तारीफ़ की जा रही है। लोग इस पर अलग-अलग तरह के कमेंट कर रह हैं। कई लोगों की कहना है कि इस तरह अफ़सर यदि कर्मचारियों को सजा दें तो कर्मचारी अपने काम के प्रति लापरवाह नहीं रहेंगे। 
साथियों बात अगर हम बुजुर्गों के लिए एक एक्स्ट्रासिटी के समकक्ष कानून,सूचीगत जातियों की सुरक्षा के लिए बनाए गए अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 2019 के समकक्ष बुजुर्गों के सम्मान के लिए कानून बनाने की करें तो जिस तरह सामाजिक सौहार्दपूर्णता समानता को कायम रखने के लिए एस्ट्रासिटी (अमेंडेड) कानून  2019 बनाया गया है जिसका डर हमेशा उपद्रवी लोगों में बना रहता है या फिर कभी नए फौजदारी अधिनियम 2023 में क्राइम को रोकने अनेक धाराओं का डर लोगों में बना हुआ है उसी तर्ज पर मेरा सुझाव है कि लोकसभा के शीतकालीन सत्र या फिर अगले महीने 2025 के बजट सत्र में बुजुर्गों के साथ होने वाली क्रूरता दुष्टपरिणाम द्रुव्यवहार अपमान व दुत्कार पर लगाम लगाने के लिए  वरिष्ठ नागरिक (अत्याचार अपमान दुर्व्यवहार व्यवहार व दुराचार) विधेयक 2024 बनाकर पेश किया जाए जिसे सभी पार्टियाँ एक मत होकर 544/0 मतदान से पारित करेंगी ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है। 
साथियों बात अगर हम 20 दिसंबर 2024 को समाप्त होने वाले शीत सत्र या जनवरी 2025 के चौथे सप्ताह से शुरू होने वाले बजट सत्र में प्राथमिकता से इस विधेयक को अधिसूचित करने की करें तो, हम प्रस्तावित कानून में वरिष्ठ नागरिक ( कार्यालयों में चकरे खिलाना अत्याचार अपमान दुर्व्यवहार निवारण) विधेयक 2024 की जरूरत है, हमारा देश महान संतानों की भूमि है,यहां शासकीय व निज़ी कार्यालयों में  बुजुर्गों दिव्यांगों व सामान्य नागरिकों  की उचित देखभाल करने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन पीड़ादायक है कि नैतिक मूल्यों में इस कदर गिरावट आ गई है कि अपना सुख-चैन व भ्रष्टाचार के बल पर,अपने परिवार को आरामदायक जिंदगी देने आम नागरिकों को अपने कार्यालय में टेबल के चक्कर काटने के लिए छोड़ देते हैं,जो न सिर्फ दुखद है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों में निरंतर आ रही गिरावट का प्रतीक भी है।हमारे सामाजिक मूल्यों में तेजी से आ रहे बदलाव की वजह से आज बुजुर्गों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए शासकीय कार्यालय के चकरे काटने, वरना काम नहीं होने पर अदालतों की शरण में आना पड़ रहा है,इस तरह की उद्दंड शासकीय कर्मचारियों को सजा के रूप में आदेश भी अदालत दे रही हैं, लेकिन यह सिलसिला बदस्तूर जारी है सामाजिक मूल्यों में आ रहे ह्रास का ही नतीजा है कि  दर बदर की ठोकरें खाने के लिये छोड़ दिया जा रहा है या फिर सुरक्षित व जल्द काम करने के लिए हरे पीलों की अपेक्षा की जाती है, लेकिन पीड़ादायक है कि नैतिक मूल्यों में इस कदर गिरावट आ गई है कि अपना सुख-चैन के लिए आम जनता युवा, बुजुर्गों और दिव्यांगों  को भी चकरे खिलाए जाते हैं जो न सिर्फ दुखद है, बल्कि सामाजिक और नैतिक मूल्यों में निरंतर आ रही गिरावट का प्रतीक भी है। 
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शाबाशऑफिसर ! -ऑफिस में बुजुर्ग शख्स को इंतजार करवाया- बॉस ने स्टाफ को दी अनोखी सजा- मरते दम तक याद रखेंगे डिजिटल युग में हर सरकारी व निज़ी कार्यालयों के अधिकारियों को इस अधिकारी से सीख़ लेने की ज़रूरत सरकारी कार्यालय में छोटे-छोटे कामों के लिए कर्मचारियों द्वारा जनता को चकरे लगवाने के लिए सज़ा का अध्यादेश लाना ज़रूरी है। 
संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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