घाटमपुर। जिलाधिकारी के निर्देशों के क्रम में ग्राम भदरस में माटीकला चौपाल का आयोजन किया गया। चौपाल में कुम्हारी कला से जुड़े 41 पात्र कारीगरों का सत्यापन कर उन्हें मिट्टी निकालने हेतु स्थल आवंटित किया गया।
इस अवसर पर कारीगरों ने अपने हस्तनिर्मित उत्पादों—दीये, कलश, लक्ष्मी-गणेश प्रतिमाएँ, सजावटी बर्तन, घरेलू उपयोग की सामग्री और अन्य कलाकृतियों का प्रदर्शन किया। चौपाल के दौरान प्रोत्साहन स्वरूप जलपान भी इन्हीं मिट्टी के बर्तनों में कराया गया। अधिकारियों ने कारीगरों को बताया कि पंजीकरण कराकर उन्हें प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, जिससे इस परंपरागत कला को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ा जा सके।
एसडीएम घाटमपुर अबिचल प्रताप सिंह ने कहा कि प्रशिक्षण उपरांत पात्र कारीगरों को योजनाओं के अंतर्गत इलेक्ट्रिक चाक और इलेक्ट्रिक भट्ठी जैसे अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इससे उत्पादन क्षमता बढ़ेगी और उत्पादों की गुणवत्ता भी और बेहतर होगी। माटीकला उद्योग न केवल पारंपरिक संस्कृति और विरासत को सहेजने का माध्यम है बल्कि यह पर्यावरण हितैषी और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उत्तम है।
उन्होंने कहा कि शासन की मंशा है कि इस सूक्ष्म उद्योग को प्रोत्साहन देकर स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन किया जाए। इसके माध्यम से दीपावली जैसे त्योहारों पर घर-आँगन मिट्टी के दीयों और इको-फ्रेंडली सजावटी वस्तुओं से जगमगाएँगे। यह प्रयास न केवल कारीगरों के जीवन में खुशहाली लाएगा बल्कि स्वच्छ और टिकाऊ जीवनशैली की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
प्राचीन मंदिर विवाद का निस्तारण
इसी क्रम में ग्राम पतारा के टेनापुर मजरे में स्थित प्राचीन शिव मंदिर से जुड़े लंबे समय से लंबित भूमि विवाद का समाधान कराया गया। एसडीएम अबिचल प्रताप सिंह, एसीपी घाटमपुर, राजस्व और पुलिस टीम मौके पर पहुँची और दोनों पक्षों को सुनकर ग्रामवासियों की सहमति से विवाद खत्म कराया। मंदिर की संरचना व सामग्री से यह विरासत का हिस्सा प्रतीत होता है। इसके संरक्षण और सौंदर्यीकरण के लिए प्रस्ताव पर्यटन और पुरातत्व विभाग को भेजा जा रहा है। यह प्रकरण पूर्व में जिलाधिकारी के जनता दर्शन में भी उठ चुका था और डीएम ने आवश्यक कार्रवाई के लिए एसडीएम घाटमपुर को निर्देशित किया था। निस्तारण के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।