सुप्रीम कोर्ट ने कुत्तों के काटने की घटनाओं में खतरनाक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को आदेश दिया कि वे सभी शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, सार्वजनिक खेल परिसरों, बस स्टैंडों, रेलवे स्टेशनों आदि से सभी आवारा कुत्तों को हटाना सुनिश्चित करें।
जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि आवारा कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए इन सभी संस्थानों और स्थानों की उचित बाड़ लगाई जानी चाहिए।
पीठ ने आदेश दिया कि आवारा कुत्तों को उसी स्थान पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए जहां से उन्हें उठाया गया था। पीठ ने यह भी कहा कि उन्हें वापस लौटने की अनुमति देने से ऐसे परिसरों की सुरक्षा और जन सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने का उद्देश्य ही फेल होगा। पीठ ने कहा, “उन्हें उसी क्षेत्र में वापस नहीं छोड़ा जाएगा क्योंकि उन्हें वापस छोड़ने से न्यायालय के निर्देश का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।”
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की वकील और याचिकाकर्ता ननिता शर्मा की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने कहा, “आज का आदेश 11 अगस्त के पिछले आदेश जैसा ही है। सरकारी संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, रेलवे स्टेशनों और बस स्टॉप से कुत्तों को हटाकर उनका पुनर्वास किया जाएगा। एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि वे इन संस्थानों में वापस न आएं। मुझे अभी भी उम्मीद है और मैं ईश्वरीय न्याय में विश्वास करती हूं। ऐसे बेजुबान जानवरों के साथ ऐसा अन्याय नहीं होना चाहिए। एबीसी (पशु जन्म नियंत्रण) नियमों के तहत पुनर्वास वर्जित है, लेकिन इसे काटने के आधार पर उचित ठहराया गया है। आज जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। आश्रय गृहों का भी अच्छी तरह से रखरखाव किया जाना चाहिए। हम आदेश का सम्मान कर रहे हैं क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट का है।”
पीठ ने निर्देश दिया कि संबंधित स्थानीय सरकारी संस्थानों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे ऐसे संस्थानों/क्षेत्रों से आवारा कुत्तों को इकट्ठा करें और पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार टीकाकरण और नसबंदी के बाद उन्हें शेल्टर में स्थानांतरित करें। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को आदेश का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना होगा, अन्यथा, अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
SC ने यह भी कहा कि ऐसे हर परिसर के रखरखाव और निगरानी के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिए, और स्थानीय नगरपालिका अधिकारियों और पंचायतों को कम से कम तीन महीने तक आवधिक निरीक्षण करना होगा और कोर्ट को रिपोर्ट देनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और अन्य एजेंसियों को राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों से आवारा मवेशियों और पशुओं को हटाने और यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि उन्हें आश्रय स्थलों में रखा जाए जहां उनकी उचित देखभाल की जाएगी। कोर्ट ने देश भर में आवारा कुत्तों के खतरे का स्वतः संज्ञान लिया।
22 अगस्त को तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दो न्यायाधीशों की पीठ के 11 अगस्त के आदेश में संशोधन किया था, जिसमें दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को इकट्ठा करने और उन्हें कुत्ता आश्रयों से बाहर निकालने पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया था। आदेश में कहा गया था कि आवारा कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी क्षेत्र में वापस छोड़ दिया जाएगा, सिवाय उन कुत्तों के जो रेबीज से संक्रमित हैं या आक्रामक व्यवहार दिखा रहे हैं।
इसने आवारा कुत्तों को सार्वजनिक रूप से खाना खिलाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था और एमसीडी को हर नगरपालिका वार्ड में उनके लिए अलग से भोजन स्थान बनाने का निर्देश दिया था।
