बुखार हो, सिरदर्द हो या बदन दर्द से राहत पाने के लिए ‘डोलो-650’ का इस्तेमाल भारत में बहुत आम हो गया है. बच्चे से लेकर बूढ़े तक हर किसी की ज़ुबान पर यह नाम चढ़ चुका है. यह गोली घरों में इतनी ज्यादा यूज होने लगी है कि अब अनपढ़ व्यक्ति भी इसे देखकर पहचान लेता है.
डोलो-650 में 650 मिलीग्राम पेरासिटामोल होता है, जो सामान्य 500 मिलीग्राम की खुराक से अधिक है. यह दवा माइक्रो लैब लिमिटेड द्वारा बनाई जाती है और कोरोना महामारी के दौरान इसकी मांग अचानक बढ़ गई. वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स या हल्के बुखार में इसका खूब इस्तेमाल हुआ. एक रिपोर्ट के अनुसार, महामारी की दूसरी लहर में डोलो-650 की बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. जिसके बाद सोशल मीडिया पर इसे इंडिया का फेवरेट स्नैक तक भी कहा जाने लगा.
खतरा है डोलो को अधिक मात्रा में खाया जाना. डॉक्टरों का कहना है कि लोग अब डोलो-650 को कैंडी की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. बिना डॉक्टर की सलाह के सिरदर्द, थकान या तनाव के लिए भी इसे लिया जा रहा है. लेकिन पेरासिटामोल की अधिक मात्रा शरीर, खासकर लिवर पर बुरा असर डाल सकती है. एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में पैरासिटामोल ओवरडोज से एक्यूट लिवर फेलियर और किडनी डिजीज के केस तेजी से बढ़ रहे हैं.
डोलो-650 को बिना डॉक्टर की सलाह के बार-बार लेना शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है. यह सिर्फ लक्षणों को दबाता है, बीमारी का इलाज नहीं करता. इसलिए कोई भी दवा लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लें.