भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव – उई मां मैं तो अब मर गया

लेखक चिंतक कवि किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
बड़ी मुश्किल से ईडी सीबीआई से बचाया था
गुलाबी पहाड़ ज़ख़ीरा ट्रिक से छुपाकर रखा था
गुलाबी बंदी की घोषणा से अब फंस गया
उई मां मैं तो अब मर गया
पूरी जिंदगी भर भ्रष्टाचार लिया था
पाप को इग्नोर कर मौज मस्ती किया था
भविष्य के लिए गुलाबी बचाया गया था
उई मां मैं तो अब मर गया
जिंदगी मजे से कटेगी सोचा था
प्लाट फ़्लैट में रकम में फस जाऊंगा सोचा था
गुलाबी हर पल साथ रखने का प्लान धरा रह गया
उई मां मैं तो अब मर गया
जब रेड पड़ी एफिडेविट क्लियर हूं दिया था
गुलाबी क्या एक हरा भी नहीं है बोला था
क्या करूं कहां जाऊं झूठ पकड़ा गया
उई मां मैं तो अब मर गया
भ्रष्टाचार तुझे तड़पाएगा पिताजी ऐसा बोला था
अय्याशी रोबदारी की मस्ती में मस्त था
हेकड़ी निकल गई सब धरा रह गया
उई मां मैं तो अब मर गया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Breaking News
बिहार में AIMIM ने उतारे 25 उम्मीदवार, ओवैसी के दांव से बढ़ेगी महागठबंधन की टेंशन? | पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर थमा खून-खराबा, कतर-तुर्की की मध्यस्थता से युद्धविराम | बिहार चुनाव: गिरिराज बोले- महागठबंधन नहीं 'ठगबंधन', तेजस्वी पर जनता को भरोसा नहीं | योगी सरकार पर अखिलेश का हमला: बिजली, ट्रैफिक, स्मार्ट सिटी... कहीं नहीं विकास!
Advertisement ×