कानपुर : जांच में दोषी पाए जाने पर चकबंदी लेखपाल कमलाकांत मौर्य निलंबित

कानपुर। नर्वल तहसील में गत शनिवार को जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान प्राप्त शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए चकबंदी लेखपाल कमलाकांत मौर्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी, मोहम्मद असलम ने जानकारी देते हुए बताया कि शिकायतकर्ता राकेश प्रजापति द्वारा आरोप लगाया गया कि दो भूखण्डों की पैमाइश के एवज में चकबंदी लेखपाल द्वारा 90 हजार की अवैध धनराशि ली गई। एक भूखण्ड की पैमाइश की जा चुकी थी, जबकि दूसरे के लिए 20 हजार की अतिरिक्त मांग की जा रही थी। इसी प्रकार, एक अन्य शिकायतकर्ता मनीष सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि वरासत दर्ज कराने हेतु उक्त लेखपाल द्वारा 20 हजार की मांग की गई।
प्रकरणों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी द्वारा बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी को सम्यक जांच कर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि जोत चकबंदी अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचित ग्रामों में धारा-24 से पूर्व किसी भूमि की नाप व कब्जा परिवर्तन का कोई प्रावधान नहीं है, इसके बावजूद चकबंदी लेखपाल द्वारा मनमाने ढंग से भूमि की नाप कर अवैध रूप से कब्जा दिलाया गया। इसके अतिरिक्त, एक निर्विवाद वरासत प्रकरण को अनावश्यक रूप से लंबित रखा गया।
जांच में दोषी पाए जाने पर चकबंदी लेखपाल कमलाकांत मौर्य को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
इस संबंध में जिलाधिकारी ने कहा कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य कर रही है। भ्रष्ट आचरण में लिप्त एवं न्यायसंगत मामलों को अनावश्यक रूप से लंबित रखने वाले कार्मिकों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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