ट्रेवल के दौरान प्लास्टिक के बोतल में पैक्ड पानी का सेवन एक आम प्रैक्टिस है. आज से पहले तक 90 प्रतिशत लोगों ने इस बारे में सोचा तक नहीं होगा कि यह उनके सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है. लेकिन अब इसे लेकर चेतावनी दी जा रही है.
दिसंबर 2024 में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने इन दोनों को प्लास्टिक वाटर बोतल और मिनरल वॉटर बोतल को ‘हाई-रिस्क फूड’ की कैटेगरी में शामिल कर दिया है. इसका मतलब यह है कि अब इन प्रोडक्ट्स के निर्माण और बिक्री पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी.
हाई-रिस्क फूड श्रेणी में वे खाद्य पदार्थ आते हैं जो आसानी से प्रदूषित हो सकते हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन सकते हैं. इसमें डेयरी उत्पाद, मांस, सीफूड, शिशु आहार, रेडी-टू-ईट फूड्स और अब पैक्ड पानी भी शामिल हैं.
एक हालिया अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि पैक्ड पानी में अत्यधिक मात्रा में नैनो-प्लास्टिक पार्टिकल्स पाए जाते हैं. 2024 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 1 लीटर बॉटल्ड पानी में औसतन 2,40,000 प्लास्टिक कण होते हैं, जिनमें से 90 प्रतिशत नैनो-प्लास्टिक होते हैं. यह नैनो-प्लास्टिक इतने छोटे होते हैं कि उन्हें माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता. ऐसे में जब आप इस पानी को पीते हैं तो शरीर में प्लास्टिक पहुंचता है और खून में मिलकर गंभीर परिणाम को पैदा कर सकते हैं.
इस अध्ययन के बाद, विशेषज्ञों ने को चेतावनी दी है कि प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीने से बचें और यदि संभव हो तो ग्लास या स्टेनलेस स्टील की बोतलों का इस्तेमाल करें. लेकिन यदि प्लास्टिक की बोतल का ही चुनाव करना पड़े, तो सुनिश्चित करें कि वह बीपीए-मुक्त हो. इसके अलावा, प्लास्टिक की बोतल को उच्च तापमान से दूर रखें, क्योंकि गर्मी के संपर्क में आने पर बीपीए नामक रसायन पानी में घुल सकता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन सकता है.