दवाओं के रेट में हुआ बदलाव, जाने कौन सी दवा हुई सस्ती

भारत सरकार ने 1 अप्रैल से लगभग 900 दवाओं के दामों में बदलाव किया है. ये बदलाव  के 12% पर पहुंचने की वजह से किया गया था. Wholesale Price Index यानी WPI होलसेल बाजार में खरीदे और बेचे जाने वाले सामान में होने वाले बदलावों को दर्शाता है, जिसके आधार पर भारत में भी सामान का दाम तय होता है. आप कह सकते हैं कि ये महंगाई नापने का पैमाना है. इस आधार पर जो दाम बदले हैं, वो दाम Ceiling Price कहलाते हैं यानी इस दाम से ज्यादा कीमत पर दवा नहीं बेची जा सकेगी लेकिन रिटेलर चाहे तो प्रतियोगिता में बने रहने के लिए इससे कम दाम पर दवा बेचने का फैसला ले सकता है.

नई लिस्ट सामने आने के बाद इस बात को लेकर सरकार की आलोचना हुई कि महंगाई की मार झेल रही जनता पर और बोझ डाला गया है. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने सफाई दी कि तकरीबन 651 दवाओं के दाम औसतन 6.73% कम हुए हैं. सरकार ने साफ किया कि WPI के आधार पर दवाओं के दाम तय करने का फैसला 2013 में लिया गया था. यानी DPCO में 2013 में यानी यूपीए (UPA) के शासन के दौरान ये फैसला किया गया था कि दवाओं के दामों को WPI में होने वाले उतार चढ़ाव के आधार पर तय किए जाएंगे.

सरकार ने ये भी बताया कि पिछले वर्ष सितंबर में हाई ब्लड प्रेशर के इलाज की दवा एमलोडिपिन की एक टैबलेट की कीमत पहले 3 रुपए 30 पैसे थी जो अब 2 रुपए 50 पैसे हो गई है. यही दवा जन औषधि स्टोर पर केवल 50 पैसे की मिलती है. पॉपुलर ब्रांडेड एंटीबायोटिक दवा ऑगमेंटिन की एक गोली की कीमत पहले 22 रुपए 20 पैसे थी, जो अब 19 रुपए की हो चुकी है. ये दवा जेनेरिक दवा के स्टोर यानी जन औषधि स्टोर पर 9 रुपए प्रति गोली मिलती है. डायबिटीज के इलाज में आने वाली दवा मेटफॉरमिन की एक गोली पहले 4 रुपए 50 पैसे की मिलती थी अब 5 रूपए की हो गई है. इसमें पहले के मुकाबले 50 पैसे बढ़े हैं, हालांकि जन औषधि स्टोर पर इसी दवा की एक गोली 1 रुपए 30 पैसे की मिलती है.

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