भावनानी के व्यंग्यात्मक भाव – मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं

लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार कानूनी लेखक चिंतक कवि एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
बड़े बुजुर्गों की कहावत सच है कि
हाथी के दांत दिखाने खाने के और हैं
मेरी पोल खोलना मत
मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं
बड़े बुजुर्गों की कहावत है कि एक उंगली
दूसरे पर उठा तीन उंगली ख़ुदपर उठेगी
मैं भी दूसरों पर उंगली उठाता हूं पर
तीन उंगलियां का मैं दोषी हूं
मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं
अपने संस्था के प्रोग्राम में मुख्य अतिथि
एसपी की पत्नी जज़अधिकारी को बुलाता हूं
उनमें मेरे कई बहुत काम फ़सते हैं
मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं
मैं खुद प्राकृतिक संसाधनों का अवैध
दोहन कर शासन को चुना लगाता हूं
अधिकारियों के हाथ गर्म करता हूं
मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं
हर गलत काम जो अवैध करता हूं
समाज में सफेदपोश बनकर रहता हूं
नामी संस्था का संस्थापक हूं
मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं
यह सब बातें तुम अपने हो शेयर करता हूं
भ्रष्टाचार को पूरी हवा देता हूं
प्रदूषण फैलाने का काम करता हूं
मैं भी मतलबी दोगला स्वार्थी हूं-3

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