भावनानी के भाव – हां मैं बदनाम हूं

लेखक, चिंतक कवि, एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
हां मैं बदनाम हूं
क्यों की मैं सच्चाई पे अटल हूं
हां मैं बदनाम हूं
क्यों कि छल कपट बेईमानी के ख़िलाफ़ हूं
हां मैं बदनाम हूं
क्यों कि बात का बतंगड़ नहीं बनाता
हां मैं बदनाम हूं
क्यों कि भूलों भटकों की मदद कर राह दिखाता हूं
हां मैं बदनाम हूं
क्यों कि कभी उधारी धोखाधड़ी नहीं किया हूं
हां मैं बदनाम हूं
क्यों कि नफ़रत झगड़े दोग्लेबजी के ख़िलाफ़ हूं
हां मैं बदनाम हूं
क्यों कि निर्दोष होकर भी सफ़ाई नहीं देता
हां मैं बदनाम हूं
क्यों कि बेकसूर होकर भी सज़ा में उफ्फ नहीं किया हूं
हां मैं बदनाम हूं
क्यों कि परेशानी में भी परेशानी नहीं दिखता हूं
हां मैं बदनाम हूं हां मैं बदनाम हूं हां मैं बदनाम हूं

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